आज फिर निकल पड़ा हूं, यू ही एक अंजान राह पर, ना रास्तों का पता, ना मंजिल का ठिकाना। आज फिर निकल पड़ा हूं, यू ही एक अंजान राह पर, ना रास्तों का पता, ना मंजिल का ठ...
फिर आया बिछड़न का मौसम ,अपने थे पर गैर हुए तुम , छोड़ अकेले सघन वनों में ,प्रेम तलाशा ब फिर आया बिछड़न का मौसम ,अपने थे पर गैर हुए तुम , छोड़ अकेले सघन वनों में ,प्रेम...
मासूमियत का था दिवाना मैं , वो भी तो शातिर थी मासूमियत का था दिवाना मैं , वो भी तो शातिर थी
मत टूटने दे तेरे विश्वास को, मत बुझने दे उम्मीद की आस को, मत टूटने दे तेरे विश्वास को, मत बुझने दे उम्मीद की आस को,
वापसी पर वापसी पर
पर समझने वाला कौन वहाँ कभी बैठे, किस्मत को कोसे, कभी फड़फड़ाते, परों को रोके..... पर समझने वाला कौन वहाँ कभी बैठे, किस्मत को कोसे, कभी फड़फड़ाते, परों को रोके.....